अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर बातचीत से न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर कोई समझौता नहीं हुआ तो ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई "बिल्कुल" संभव है. उन्होंने कहा कि ईरान के पास न्यूक्लियर प्रोग्राम पर समझौते तक पहुंचने के लिए "ज्यादा समय नहीं" है.
यह पूछे जाने पर कि क्या सैन्य कार्रवाई (मिलिट्री एक्शन) एक विकल्प है,ट्रंप ने रिपोर्टरों से कहा,"यदि आवश्यक हो,तो बिल्कुल.. अगर इसके लिए सेना की आवश्यकता है,तो हम सेना रखेंगे. जाहिर तौर पर इजरायल इसमें बहुत अधिक शामिल होगा,वो उसका नेता बनें. लेकिन कोई हमारा नेतृत्व नहीं करता,हम वही करते हैं जो हम करना चाहते हैं.”
गौरतलब है कि इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि वह ईरान के साथ समझौते पर पहुंचने के ट्रंप की कोशिशों का समर्थन करते हैं.
उन्होंने कहा कि इजरायल और अमेरिका का एक ही लक्ष्य है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि ईरान न्यूक्लियर हथियार विकसित न कर सके. हालांकि नेतन्याहू ने ही 2018 में ईरान के साथ अमेरिका की मध्यस्थता वाले समझौते से बाहर निकलने के लिए ट्रंप को मनाने के प्रयासों का नेतृत्व किया था. उस समय ट्रंप का राष्ट्रपति के रूप में पहला कार्यकाल चल रहा था.इजरायली नेता ने है कहा कि वह 2003 में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ लीबिया के समझौते की तर्ज पर एक राजनयिक समझौते का स्वागत करेंगे. यह याद रहे कि उस समझौते के तहत लीबिया के तानाशाह मोअम्मर गद्दाफी ने अपने सभी गुप्त न्यूक्लियर प्रोग्राम छोड़ दिए थे. लेकिन ईरान ने इस बात पर जोर दिया है कि इंटरनेशनल न्यूक्लियर इनर्जी एजेंसी द्वारा स्वीकृत उसका प्रोग्राम जारी रहना चाहिए.
ईरान के साथ समझौते पर नेतन्याहू ने कहा है,“मुझे लगता है कि यह एक अच्छी बात होगी.. लेकिन चाहे कुछ भी हो,हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ईरान के पास परमाणु हथियार न हों."
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