सुप्रीम कोर्ट ने इस्कॉन बेंगलुरु के पक्ष में सुनाया बड़ा फैसला
नई दिल्ली:
इस्कॉन बेंगलुरु बनान इस्कॉन मुंबई विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है.कोर्ट ने अपने फैसले में ये साफ कर दिया है कि बेंगलुरु हरेकृष्ण हिल टेंपल अब इस्कॉन बेंगलुरु के पास ही रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई इस्कॉन के अधिकार को भी रद्द कर दिया है. इस फैसले के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को भी पलट दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए निचली अदालत के फैसले को सही बताया है.आपको बता दें कि निचली अदालत ने इस्कॉन मुंबई के अधिकार को खारिज करते हुए कहा था कि इस्कॉन बेंगलुरु इस्कॉन मुंबई की शाखा नही बल्कि एक स्वतंत्र संस्था है.वहीं ये मामला जब हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने कहा कि बेंगलुरु इस्कॉन मुंबई के स्वामित्व में होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने इस्कॉन में दशकों से जारी विवाद पर शुक्रवार को जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने ये फैसला सुनाया है.15 फरवरी 2016 को सुप्रीम कोर्ट में आए इस मामले में आठ साल बाद 24 जुलाई 2024 को सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा गया.दरअसल,इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद भक्तिवेदांत स्वामी के महासमाधि में जाने के बाद उनके शिष्यों के बीच सिद्धांतों को लेकर विवाद शुरू हुआ.
इस्कॉन मुंबई पर अधिकतर प्रभाव प्रभुपाद के विदेशी शिष्यों का था.उन लोगों पर आरोप है कि समाधि प्रवेश से पहले प्रभुपाद की उस वसीयत का पालन नहीं किया गया जिसमें भविष्य में इस्कॉन के संचालन की रूपरेखा थी. इसमें 12 साधुओं की प्रशासन समिति आयोग जैसी व्यवस्था थी. शिष्य परम्परा प्रभुपाद के गुरुनाम से ही संचालित रखने का एकमात्र विकल्प था.लेकिन आरोप है कि ये सभी 12 लोग अपनी मर्यादा से गिर गए. इससे नाराज होकर इस्कॉन बेंगलुरू ने विरोध किया. भक्ति सिद्धांत का विवाद फिर मंदिरों की संपत्तियों पर भी आ गया.हालांकि,सुनवाई के दौरान जस्टिस ओक ने साफ कर दिया कि अध्यात्म और सिद्धांत की बातों पर ये अदालत निर्णय नहीं कर सकती क्योंकि इनकी विशेषज्ञ नहीं है. अदालत इसे संपत्ति विवाद के तौर पर देखती है.लिहाजा फैसला भी इसी आधार पर होगा.