शरद पवार और अजित पवार की मुलाकात से महाराष्ट्र में अटकलों का दौर शुरू हो गया है. (फाइल)
मुंबई :
महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों पुनर्मिलन का दौर चल रहा है. उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के साथ आने की खबर के बाद अब शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार की करीबियों ने भी महाराष्ट्र की सियासत में सनसनी फैला दी है. हाल ही में चाचा-भतीजे की एक बंद कमरे में हुई मुलाकात ने उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना को बेचैन कर दिया है. इस मुलाकात के बाद यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या महाविकास अघाड़ी का अस्तित्व ज्यादा दिन तक बरकरार रह पाएगा?
पुणे के वसंतदादा पाटिल शुगर इंस्टीट्यूट में आयोजित बैठक की यह तस्वीर महाराष्ट्र की राजनीति में खास मानी जा रही है,क्योंकि इसमें चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के बीच कोई दूरी नजर नहीं आ रही. जुलाई 2023 में जब अजित पवार बगावत कर अलग हो गए थे,तब से चाचा और भतीजा बहुत कम मौकों पर एक साथ एक ही मंच पर नजर आए. अगर किसी मौके पर एक मंच साझा करना पड़ा भी तो दोनों एक-दूसरे के बगल में बैठने से बचते थे,लेकिन इस बैठक में न केवल दोनों अगल-बगल बैठे,बल्कि इसके बाद जो कुछ भी हुआ,उसने महाराष्ट्र की सियासत में कयासों का सिलसिला शुरू कर दिया.
शरद पवार और अजित पवार के बीच हुई इस बैठक से उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना तिलमिला गई. पार्टी के सांसद संजय राऊत ने तो यहां तक कह दिया कि दोनों पवार एक ही हैं. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे के अलग होने के बाद उनकी पार्टी के लोग शिंदे गुट के नेताओं से मिलते-जुलते या चाय पीते नजर नहीं आते.
शरद पवार अपने भतीजे के साथ एक बैठक करते हैं और महाराष्ट्र की सियासत में खलबली मच जाती है. इस मुलाकात के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या शरद पवार महाविकास अघाड़ी से अलग होकर कोई नया राजनीतिक समीकरण तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं? इसके पीछे वजह है शरद पवार की छवि. शरद पवार अक्सर ऐसे राजनीतिक फैसले ले लेते हैं,जिनका अंदाज़ा बड़े-बड़े सियासी पंडित भी नहीं लगा पाते. खुद संजय राऊत 2019 में कह चुके हैं कि शरद पवार के दिमाग को समझने के लिए 100 जन्म लेने पड़ेंगे.
जब सवाल अस्तित्व का हो तो अहम,पुरानी रंजिश और प्रतिद्वंद्विता ज्यादा मायने नहीं रखतीं. खुद को जिंदा रखने के लिए समझौते करने पड़ते हैं,दिल पर पत्थर रखना पड़ता है,बहुत कुछ भूलना पड़ता है. महाराष्ट्र की सियासत में भी कुछ ऐसा ही होता नजर आ रहा है.