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गाजा पर क्या है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की योजना, कैसे देख रही है दुनिया

2025-02-06     HaiPress

नई दिल्ली:

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा पर बयान देकर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. ट्रंप ने गाजा को विनाश और मौतों का प्रतीक बताया है. उन्होंने कहा कि गाजा के लोग वहां केवल इसलिए जाना चाहते हैं कि उनके पास कहीं और जाने का विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा है कि वो गाजा को अपने कब्जे में लेकर उसे फिर से बसाना चाहते हैं और वहां लोगों के लिए नौकरियां पैदा करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि गाजा का पुनर्निर्माण होने तक वहां से लोगों को हटाकर किसी दूसरे अरब देश में भेज देना चाहिए. ट्रंप ने यह बयान तब दिया जब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू उनके साथ थे. ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति पद संभालने के बाद अमेरिका का दौरा करने वाले नेतन्याहू पहले विदेशी नेता हैं. ट्रंप की इस योजना को हमास का संचालन कर रहे हमास ने खारिज कर दिया है.

डोनाल्ड ट्रंप चाहते हैं क्या हैं

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने अपने पूर्ववर्ती जो बाइडेन की जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि बाइडेन ने अपने कार्यकाल में इजरायल के दुश्मनों को और मजबूत किया. ऐसा नहीं है कि ट्रंप ने गाजा को लेकर पहली बार इस तरह की बात कही है. दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद से ही वो गाजा को लेकर इस तरह के बयान दे रहे हैं. अभी करीब दस दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि गाजा के लोगों को जॉर्डन और मिस्र में बसा दिया जाना चाहिए.

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने से पहले इजरायल और हमास में युद्धविराम समझौते हुआ. यह समझौता 19 जनवरी से लागू है.

नेतन्याहू की मौजूदगी में ट्रंप ने अमेरिका के फिलस्तीन-इजरायल विवाद के समाधान के द्वि-राष्ट्र के आधिकारिक स्टैंड के खिलाफ भी बयान दिया. उन्होंने कहा कि उनके इस बयान का दो राष्ट्र,एक राष्ट्र या किसी भी राष्ट्र से कोई मतलब नहीं है.


उन्होंने कहा कि यहां लोगों को कभी जीने का मौका नहीं मिला.ट्रंप के शपथ लेने से पहले उनके पूर्ववर्ती राष्ट्रपति जो बाइडेन के द्वि-राष्ट्र के सिद्धांत का समर्थन करते रहे.

डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर हमास ने क्या कहा है

ट्रंप की इस योजना को हमास पर शासन करने वाले हमास ने नकार दिया है. उसका कहना है कि ट्रंप का यह प्रस्ताव इलाके में अराजकता और तनाव पैदा करने का फार्मूला है. उसका कहना है कि उसके लोग गाजा पट्टी में इन योजनाओं को नहीं लागू होने देंगे. हमास का कहना है कि गाजा पर कब्जे और आक्रामकता को खत्म करने की जरूरत है न कि उनकी ही जमीन से उन्हें हटा देने की. हमास का कहना है कि गाजावासियों ने 15 महीने से अधिक समय से बमबारी के दौरान विस्थापन और उन्हें वहां से हटाने की योजना को विफल कर दिया है.

मिस्र,जॉर्डन,सऊदी अरब,संयुक्त अरब अमीरात,कतर,फलस्तीनी प्राधिकरण और अरब लीग ट्रंप की योजना के खिलाफ हैं.

डोनाल्ड ट्रंप के आने से ठीक पहले ही इजरायल और हमास ने एक युद्धविराम समझौते पर दस्तखत किए थे. यह समझौता 19 जनवरी को लागू हुआ था. इस समझौते के लिए अमेरिका के अलावा कतर और मिस्र ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी. समझौते को जो बाइडेन प्रशासन के विदेश नीति की बहुत बड़ी जीत के रूप में देखा गया था. ट्रंप के इस बयान के बाद अब इस युद्ध विराम समझौते पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं.इजरायल-हमास के इस 42 दिनों के संघर्ष विराम में 33 इजरायली बंदियों और करीब दो हजार फिलस्तीनी कैदियों की रिहाई होनी है. इसकी समय सीमा एक मार्च को खत्म हो रही है. हालांकि ट्रंप सत्ता संभालने के बाद से ही इस समझौते की स्थितरता को लेकर आशंका जताते रहे हैं. वो इसका श्रेय लेने में भी पीछे नहीं रहे हैं.

अभी मंगलवार को ही हमास के प्रवक्ता ने कहा था कि दूसरे दौर की बातचीत शुरू हो गई है. उनका कहना था कि अगर सहमति बन गई तो गाजा से इजरायल के सभी सैनिकों की वापसी हो जाएगी और हमास सभी कैदियों को रिहा कर देगा.

डोनाल्ड ट्रंप की इस योजना का गाजा पर शासन करने वाले हमास ने खारिज कर दिया है.

अरब देशों और यूरोप का क्या रुख है

मिस्र,फलस्तीनी प्राधिकरण और अरब लीग इससे पहले ट्रंप के इसी तरह के एक बयान को खारिज कर दिया था. अरब देशों ने गाजा के लोगों को मिस्र और जॉर्डन में बसाने की योजना को खारिज करते हुए कहा था वे फिलस्तीनियों को गाजा और कब्जे वाले वेस्ट बैंक से हटाने की किसी भी योजना को खारिज करते हैं. उस समय ट्रंप ने कहा था कि जॉर्डन और मिस्र को गाजा के बेघर लोगों को अपने यहां लेना चाहिए. उन्होंने कहा था कि गाजा से करीब डेढ़ करोड़ लोगों को वहां से हटा देना चाहिए,जिससे हम उस जगह को पूरी तरह साफ कर सकें. ट्रंप की इस योजना की आलोचना करने वालों में कुछ यूरोपीय देश भी शामिल थे. इसमें जर्मनी सबसे आगे था. जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बर्लिन में मीडिया से कहा था कि गाजा से फिलस्तिनियों को नहीं हटाया जाना चाहिए और गाजा पर इजरायल का स्थायी कब्जा भी नहीं होना चाहिए. ट्रंप के प्रस्ताव का विरोध करने वालों में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी भी शामिल हैं. हालांकि उन्होंने ट्रंप के गाजा के पुनर्निर्माण की योजनाओं का समर्थन किया था.

इजरायल पर हमास के हमले के बाद शुरू हुए युद्ध में अब तक गाजा में करीब 50 हजार लोग मारे गए हैं.

युद्धविराम समझौता लागू होने के बाद से ही सबसे बड़ा अनुत्तरित सवाल यही है कि गाजा पर नियंत्रण किसका होगा.इजरायल बहुत पहले से ही कहता रहा है कि वह गाजा पर फिर हमास को शासन करने नहीं देगा. वह हमास को गाजा से उखाड़ फेकेगा. समझौते की घोषणा के बाद फिलस्तीन के प्रधानमंत्री मोहम्मद मुस्तफा ने कहा था गाजा पर शासन का पहला अधिकार फिलस्तीनी प्राधिकरण का है. लेकिन इजरायल गाजा पर फिलस्तीनी प्राधिकरण के शासन के खिलाफ भी है. वह इसे प्राधिकरण की बढ़ते ताकत के रूप में देखता है. यह प्राधिकरण इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक पर कुछ सीमित अधिकारों के साथ शासन करता है. कहा यह भी जाता है कि इजरायल गाजा पर शासन के लिए एक निकाय बनाना चाहता है. इसके लिए वह अमेरिका और कतर के साथ काम कर रहा है. लेकिन ट्रंप के ताजा बयान ने इस अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है कि गाजा पर शासन किसका होगा.

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